मंगलवार, 16 जून 2020

जानिये कोरोनावायरस के लिए परीक्षण कैसे काम करता है ? - How do the test for coronavirus works?



दुनिया भर में कोरोना वायरस ने आतंक मचाया हुआ हैl भारत में इस महामारी को फैलने से रोकने के लिए पहले ४ चरणों में लॉकडाउन किया गया था बाद में इस देशव्यापी लॉकडाउन को खोल दिया गया लेकिन आज भी इसका संकट टला नहीं है आज जब मैं ब्लॉग लिख रहा हूँ उस समय तक भारत में करीब 1,53,512 लोग अभी भी कोरोना से सक्रमित है . भारत में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी ICMR ने 24 मार्च को इस बारे में आदेश जारी किया था| जिसके तहत 22 प्राइवेट लैब कोरोना की जांच कर सकती है l लैब के कोरोना से देशभर में 15,500 कलेक्शन सेंटर हैं| इससे पहले सरकार ने 118 सरकारी लैब को कोरोना की जांच के लिए अधिकृत किया था| कोरोना वायरस से जुड़ी हुई सावधानियों और बचाव के तरीकों के बारे में तो  आप सभी जानते हैं लेकिन आप जानते हैं कि कोरोना वायरस की जांच कैसे की जाती है? मेरा  ब्लॉग पढ़ने के तथपश्चात आप जान जाओंगे की कोरोना वायरस की जाँच कैसे की जाती है 


इसकी जाँच हेतु विभिन्न उपकरणों का  इस्तेमाल किया जाता है जैसे 

पीसीआर (PCR) मशीन -


वर्तमान में कोरोनावायरस संक्रमण की पहचान करने के लिए पीसीआर मशीन का उपयोग किया जा रहा हैं । पीसीआर यानी 'पॉलीमरेज चेन रिएक्शन' होता हैं इसका इस्तेमाल 1980 के दशक से किया जा रहा है |और यह बिल्कुल नयी परीक्षण विधि हैं जिससे परीक्षण करने हेतु लाखों बार डीएनए की एक छोटी राशि की नकल की अनुमति दी जाती हैं ताकि संक्रमण का पता लगाने और पुष्टि के लिए जानकारी का गठन कर सके, अब सवाल आता हैं इतने डीएनए कॉपी क्यूँ क्युकी हमे डीएनए मे उपलब्ध ढेर सारे गुणधर्मों की जानकारी मिल सके.

वायरस के  परीक्षण हेतु एक नमूने की जरूरत होती हैं । इसके लिए  स्वाब टेस्ट की जाती है इसमे कॉटन स्वाब की सहायता से  गले या नाक के अंदर से सैंपल  को लिया जाता है |इसके बाद स्वाब को एक सुरक्षित कंटेनर में रखा जाता है और आगे के विश्लेषण के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है।



डीएनए हमारी अनुवांशिक सामाग्री (genetic material) और कुछ प्रकार के  वायरस बनाता हैं | लेकिन COVID-19 सार्स - CoV-19 का कारण ताने वाले वायरस में डबल फंसे डीएनए नहीं, ब्लकि सिंगल फंसे RNA होते हैं|चूंकि हमे पता है पीसीआर टेस्ट से हम केवल डीएनए की प्रतियां ही निकाल सकते हैं, इसलिए हमें पहले RNA को डीएनए मे बदलने की जरूरत होती हैं|


वायरस आरएनए को कॉटन स्वाब के नमूने से निकाला जाता है। इसके बाद इसे मानव कोशिकाओं और एंजाइमों से शुद्ध करने की आवश्यकता होती है क्यूंकि वे PCR मशीन के परीक्षण में हस्तक्षेप कर सकते हैं । अक्सर, प्रयोगशालाएं ऐसा करने के लिए विशेष रूप से रासायनिक आपूर्तिकर्ताओं द्वारा बनाई गई किट का उपयोग करती हैं। 


शुद्ध आरएनए को रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेस नामक एंजाइम के साथ मिलाया जाता है। यह एंजाइम एक सिंगल स्ट्रेन्डेड आरएनए    ( RNA) को डबल स्ट्रेन्डेड डीएनए में बदल देता है ताकि पीसीआर टेस्ट में इसका इस्तेमाल किया जा सके। 


वायरस डीएनए तो एक परीक्षण ट्यूब में लिया जाता है इसमे और भी चीजों का समावेश किया जाता हैं. 



1)प्राइमर: ये डीएनए के छोटे वर्गों की तरह होते हैं जिन्हें वायरस  के लक्षण भागों को बांधने के लिए डिज़ाइन किया गया हैं । इस वजह से वे उस डीएनए से नहीं बंधते जो वायरस से ना आया हों ।


2)न्यूक्लियोटिड्स: ये इमारत की ईंटों की तरह हैं जो डीएनए बनाते हैं।


3)एक डीएनए निर्माण एंजाइम: यह डीएनए की प्रतियां बनाता है|



एक पीसीआर मशीन मिश्रण को गर्म करती है। इससे डबल स्ट्रेन्डेड डीएनए खुल जाता है और जैसे यह वायरस डीएनए खुलता है वैसे ही प्राइमर फिर डीएनए के ठंडे होते तक उसके एक हिस्से से बंध जाता हैं । जैसे प्राइम डीएनए से बंध जाता हैं, इसके बंधने के कारन डीएनए निर्माण एंजाइम को एक प्रारंभिक बिंदु मिल जाता है ताकि बिल्डिंग एंजाइम डीएनए की नकल बना सके। यह प्रक्रिया बार-बार हीटिंग और कूलिंग के माध्यम से जारी रहती है जब तक कि डीएनए की लाखों प्रतियां बनाई नहीं जाती. 

  

 यह बतलाता है कि पीसीआर वायरस जेनेटिक कोड को कैसे बढ़ाती है, लेकिन कोरोना के उपस्थिति की पुष्टि नहीं कराती । जब डीएनए की नकल की प्रक्रिया चलती रहती है तब परीक्षण ट्यूब मे फ्लूरोसेंट रंगों को मिश्रित किया जाता हैं । वे नकल किए गए डीएनए से बंधते हैं, जो उनके फ्लोरेसेंस को बढ़ा देता है, जिससे वे अधिक प्रकाश देते हैं। यह प्रकाश है जो हमें वायरस की उपस्थिति की पुष्टि करने की अनुमति देता है ।

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