क्या आपको पता है दुनिया का सबसे बड़ी प्रतिमा (statue) कहा बनी है ? तो जानने के लिए हमारे साथ बने रहें.
हाँ दुनिया की सबसे लंबी मूर्ति बनाने का श्रेय जाता है हम सभी भारतीयों को,कई दशकों तक अंग्रेजो से आजादी के लिए लड़ने के बाद भारत के आजादी का दिन तय हुआ, लेकिन 565 रियासतों मे बटे भारत को एक जुट और आजाद भारत बनाने के पीछे हाथ था लौह पुरुष. सरदार वल्लभभाई पटेल जी का.
आजादी के 71 साल बाद हमारे सभी के प्यारे लोहपुरुष की महानता को सम्मानित करने बनाई गयी दुनिया की अभी तक की सबसे ऊंची मूर्ति स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (The Statue of Unity)
गुजरात के सरदार सरोवर डाम के पास बनी इस बेमिसाल मूर्ति को बनाने में पूरे भारत के लाखो गांवों ने अपना अपना अपना योगदान दिया है.
हाँ दुनिया की सबसे लंबी मूर्ति बनाने का श्रेय जाता है हम सभी भारतीयों को,कई दशकों तक अंग्रेजो से आजादी के लिए लड़ने के बाद भारत के आजादी का दिन तय हुआ, लेकिन 565 रियासतों मे बटे भारत को एक जुट और आजाद भारत बनाने के पीछे हाथ था लौह पुरुष. सरदार वल्लभभाई पटेल जी का.
आजादी के 71 साल बाद हमारे सभी के प्यारे लोहपुरुष की महानता को सम्मानित करने बनाई गयी दुनिया की अभी तक की सबसे ऊंची मूर्ति स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (The Statue of Unity)
गुजरात के सरदार सरोवर डाम के पास बनी इस बेमिसाल मूर्ति को बनाने में पूरे भारत के लाखो गांवों ने अपना अपना अपना योगदान दिया है.
कुछ महत्वपूर्ण बातें जो आपको पता होना चाहिए :-
- इसे बनाने मे ईस्तेमाल हुआ 22500 MT (मेट्रिक टन ) सीमेंट , 1700 T कांस्य (Bronze), और इसे बनाने काम किए थे 3400 मजदूरों ने और लगभग इसे बनाने 3000 करोड़ रुपए का खर्च आया था. लेकिन केवल 42 महीनों मे बनकर तयार हुई दुनिया की सबसे ऊंची भारत के लौह पुरुष की मूर्ति.
- इस लौह पुरुष की मूर्ति के निर्माण में लाखों टन लोहा और तांबा लगा है और कुछ लोहा लोगों से मांगकर लगाया है. इस मूर्ति को बनाने के लिए लोहा पूरे भारत के गांव में रहने वाले किसानों से खेती के काम में आने वाले पुराने और बेकार हो चुके औजारों का संग्रह करके जुटाया गया. इसके लिए एक ट्रस्ट भी बना "सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट". इसकी नींव 2013 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी.
- यह प्रतिमा अमेरिका की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से लगभग दोगुनी है। इसकी लंबाई 182 मीटर है, यानी 597 फीट। स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की लंबाई 93 मीटर है| स्प्रिंग टेम्पलेट ऑफ बुद्ध ( लंबाई 153 मीटर ) से लगभग 30 मीटर ऊँचा है | क्राइस्ट द रेडीमर (Christ The Redeemer 39.6 मीटर) से लगभग साढ़े चार गुना ऊँचा है.
- मूर्ति निर्माण के अभियान से "सुराज" प्रार्थना-पत्र बना जिसमे जनता बेहतर शासन पर अपनी राय लिख सकती थी। सुराज प्रार्थना पत्र पर 2 करोड़ लोगों ने अपने हस्ताक्षर किये, जो कि विश्व का सबसे बड़ा प्रार्थना-पत्र बन गया जिसपर हस्ताक्षर हुए हों.
- गुजरात सरकार ने इस गगनचुंबी मूर्ती बनाने की जिम्मेदारी दी थी. पद्मभूषण से सम्मानित भारतीय मूर्तिकार राम वनजी सुतार जी और उनके बेटे अनिल सुतार जी को.
- इस विशाल काय गगनचुंबी मूर्ति की फाउंडेशन जमीन से 45 मीटर नीचे है, मतलब जमीन के नीचे 15 मंजिल की इमारत इतनी| इस मजबूत फाउंडेशन के कारण ही यह 60 मीटर /सेकंड की हवा झेल सकता है, और 6.5 Richter स्केल का भूकंप भी झेल सकता है.
- इस प्रतिमा के साथ-साथ 250 एकड़ में एक वैली ऑफ फ्लॉवर बनाया गया है। इसमें 100 से ज्यादा तरह के फूलों के पौधे लगाए गए हैं। साथ ही यहां आने वाले लोगों के लिए खास तौर पर टेंट सिटी भी बनाई गई है। यहां 250 टेंट लगाए गए हैं, जहां गुजराती और आदिवासी खाने से लेकर नृत्य दिखाया जाएगा।
- प्रतिमा को देखने के लिए आपको पैसा भी खर्चा करना पड़ेगा। टिकट की दो कैटेगरी हैं। एक गैलरी देखने और एक बिना गैलरी वाली टिकट। अगर आप गैलरी, म्यूजियम और वैली ऑफ फ्लावर में जाना चाहते हैं तो पूरा नजारा देखना चाहते हैं तो तीन साल के बच्चों से लेकर व्यस्क तक 350 रुपये की टिकट लेनी होगी और 30 रुपये बस के देने होंगे। यानी एक आदमी का खर्चा 380 रुपये होगा। तो क्या प्लान है?
😳😳😳
जवाब देंहटाएंOo very good boy
जवाब देंहटाएंNice
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